what is value of Life? जीवन की कीमत क्या है ?
लगभग दो घंटे से योहान नदी के किनारे डूबते सूरज की तरफ देख रहा था। उसके मन मै जो सवाल था उसका जवाब वह खोज नहीं पारा था बहोत देर सोचने के बाद आखिर योहान उठा और अपने दादा जी के तरफ चल दिया। १० साल के योहान को अब तक जो जो प्रश्न सताते थे उसके जवाब के लिए वह दादाजी के पास जाता था। उसने इस बार भी वही किया। दादाजी योहान के छोटे भाइयो के साथ बैठ उन्हें कहानिया सुना रहे थे। दूर से आते योहान को देख दादाजी मुस्कुराए। उन्होंने उसे बैठने को कहा लेकिन वह बैठा नहीं इस बार वह ज्यादा ही आस्वस्त दिख रहा था।
दादाजी ने उससे पूछा "क्या हुआ योहान क्यों परेशान हो ?
'योहान ने कहा 'दादाजी एक सवाल है जो मै समज नहीं पारा । '
'पूछो बेटा क्या सवाल है। '
और फिर उसने अपना सवाल दादाजी के आगे रखा। ....
"दादाजी, मेरे जीवन की कीमत क्या है ?
दादाजी मुस्कराय ,लेकिन उन्होंने उसे जवाब नहीं दिया।दादाजी ने उसे पास बुलाया और आपने पास वाला एक अलग सा दिखने वाला सामान्य पत्थर उठा के उसके हात में दिया। दादाजी का जवाब देने का तरीका हमेशा अलग होता और योहान यह बात भले भाती जानता था। उसके हाट में पत्थर देके दादाजी बोले ,"यह पत्थर लेके बाजार में जाव और इसे अपनी हतेली पे लेके बेचने के हिसाब से खड़े रहो , अगर इसकी कीमत कोई पूछे तो तुम सिर्फ अपनी दो उंगलिया दिखा देना, लेकिन कुछ भी मत बोलना। यह ध्यान रहे। '
उसने पत्थर लिया और दौड़ते ही बाजर गया। कुछ समय बाद उसके पास एक बूढी औरत आयी उसने योहान से उस पत्थर की कीमत पूछी ,तब उसने अपनी दो उंगलिया उसे दिखा दी। बूढी औरत ने कहा 'ओ अच्छा तो दो रूपए कीमत है ठीक हे मुझे ये चाहिए।'योहान आशचर्य चकित हो गया वह दौड़ता हुआ वापस अपने दादा के पास गया और हकीकत सुनाई। दादाजी मुस्कुराये और बोले," ठीक है अब इस पत्थर को लेके संग्राहलय(musuem ) में जाव और कुछ भी मत बोलना अगर कोई कीमत पूछे तो दो उंगलिया दिखा देना । योहान ने वैसा किया और वह एक संग्रहालय में गया। उसने पत्थर दिखाया। उसको वहा पे कीमत पूछी गई तब उसने कुछ न बोलते हुवे अपनी दो उंगलिया दिखा दी। संग्रहालय का मालिक खुश होक बोला 'ओ बीस हजार ,ठिक है हम ये चाहिए यह हमारी संग्रहालय की शोभा बढ़ाएगा। ' योहान सिर्फ देखता ही रहा। वह वापस दादाजी के पास आया। और जो हुआ वह बाते आश्चर्य से बतायी । दादाजी ने कहा,' ठीक हे बेटा अब इस पत्थर को लो और पत्थर के विशेष संग्रालय में जाव जहा तुम्हे जौहरी मिलेगा। उसे इसे दिखाव अगर कीमत पूछे तो कुछ भी न बोलते हुवे अपनी दो उंगलिया दिखा देना। '
योहान ने वैसे ही करते हुवे वह जौहरी के पास पोहचा और वह पत्थर उस जौहरी को दिखाया। पत्थर देख जौहरी चौक गया और बोला क्या बात है मैंने ऐसा पत्थर मेरे पुरे जिंदगी में नहीं देखा मुझे ये हर कीमत पर चाहिए ,बेटा यह एक हिरा है। योहान देखते ही रह गया। उसने योहान से जब उसकी कीमत पूछी तब योहान ने अपनी दो उंगलिया दिखा दी। वह देख जौहरी बोला ," ओ, दो लाख। में लेने को तैयार हु ,मुझे यह चाहिए। "
योहान वापस जब दादाजी के पास आया तब काफी आशचर्य चकित था एक ही पत्थर लेकिन अलग अलग जगह पे उसकी कीमत अलग अलग थी।
तब उसको दादाजी ने कहा मुस्कुराके कहा ,"है बेटा ऐसा ही होता है। यही तुम्हारे सवाल का जवाब है योहान।
"तुम खुद को जिस जगह रखते हो उसी से तुम्हारे जीवन की कीमत होती है। तुम्हारे जीवन की कीमत तुम निर्धारित करते हो। या तो तुम दो रूपए के बन सकते हो या फिर दो लाख के। कुछ लोगो के लिए तुम्हारी कोई भी कीमत नहीं होती। बिलकुल उस बूढी औरत की तरह और उनके लिए तुम कुछ भी नहीं हो । लेकिन कुछ लोग तुमसे प्यार करते है जिनके लिए तुम सबकुछ होते हो उस जोहरी की तरह। तो बेटा यह पूर्ण तहा तुम पर होता है की तुम्हारी जीवन की क्या कीमत है और तुम खुद को कहा पे रखते हो।
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Dedicated to u My bro.....
We lovee u...we all thank u....